बेवफा नींद
मैं:
ए बेवफा नींद तू आती क्यों नहीं ?
आके मुजे उन अनजानी प्यारी गलियों की सेर कराती क्यों नहीं?
नींद:
अब तुही बता में केसे आऊं?
तेरे ख्यालों में किसी और के होते हुए, तुजे केजे अपनाऊ ?
मेरे ख्याल अब मेरे नहीं रहे, में उनका हो गया हु.
इन खायालोन को खुदको सोम्प्के, सबसे दूर हो गया हु.
दूरिया तो उनसे कि जायेगी जो पास आये हो.
उनसे दूर केसे हो पायेगा, जो तुझीमे समाये हो ?
तो फिर इस बेवफाई कि वजह क्या हे?
जो बचपन से साथ निभाते आयीं हे, उसके बेरुखी कि ये सजा क्या हे?
में बेवफा नहीं सिर्फ तुजसे खफा हु,
खुदको जो तू छुपा बेठा तू खुदसे , उसी दर्द से तनहा हु.
और मेरी इस बेरुखी को तू बेवफाई के नाम से बदनाम न कर.
ये मेरी बेरुखी तुजसे नहीं, ये मेरी उससे वफ़ा हे.
तो क्या कहू में इस बदचलनी को जो तुने दिखाई
में तेरे लिए तरस रहा हु, लेकिन याद तुजे किसी और की आई
किस बात से परेशां हे तू, किस बात से नाराज़ हे.
बातों में कड़वाहट भरी बेठी हे तेरे, ये तेरा केसा अंदाज हे.
एक तुही ही थी हमेशा, साथ ले जाने के लिए
एक तुही थी उस जालिम तन्हाई से मुजे बचाने के लिए
में नाराज हु तुजसे, हु में परेशां तेरे लिए
बरसो का साथ छोड़ बेठी हे तू, ना जाने किस अनजाने के लिए
बता कोण हे वोह, जो आया हे तुजे मुजसे ले जाने के लिए
ये पहेली और आखरी चीज तेरे लिए कर रही हु,
ना चाहते हुए भी तेरे आगे आज उसकी तारीफ कर रही हु.
वोह राजा हे मेरे रातों का
वोह पक्क्का हे अपने इरादों का
वोह करने से अपनी मन की कभी चुकता नहीं
वोह किसी और के बोलने से झुकता नहीं
वोह वो हे जो किसीसे डरता नहीं,
दुनिया जो कहे और उसे कुछ फर्क पड़ता नहीं
हा हा हा हा हा हा हा
हसी मुजे आरही हे, देखके ये की केसा समय आया
तू बनके तो क्या आया था, और आज तुने खुदका क्या बनाया
इतना क्या खो गया खयालो में के, खुदको ही ना पहेचान पाया .
चल उठ सुबह हो गई अभी, कुछ कम कर
फ़ोकट में कुछ ना मिलना यहाँ अब ना आराम कर
आज फिर दिन ढलने वाला हे, फिर वोही रत आएँगी
खुद को पेहेचानले उजाले में, रातको में खुदही चली आउंगी.
मैं:
ए बेवफा नींद तू आती क्यों नहीं ?
आके मुजे उन अनजानी प्यारी गलियों की सेर कराती क्यों नहीं?
नींद:
अब तुही बता में केसे आऊं?
तेरे ख्यालों में किसी और के होते हुए, तुजे केजे अपनाऊ ?
मेरे ख्याल अब मेरे नहीं रहे, में उनका हो गया हु.
इन खायालोन को खुदको सोम्प्के, सबसे दूर हो गया हु.
दूरिया तो उनसे कि जायेगी जो पास आये हो.
उनसे दूर केसे हो पायेगा, जो तुझीमे समाये हो ?
तो फिर इस बेवफाई कि वजह क्या हे?
जो बचपन से साथ निभाते आयीं हे, उसके बेरुखी कि ये सजा क्या हे?
में बेवफा नहीं सिर्फ तुजसे खफा हु,
खुदको जो तू छुपा बेठा तू खुदसे , उसी दर्द से तनहा हु.
और मेरी इस बेरुखी को तू बेवफाई के नाम से बदनाम न कर.
ये मेरी बेरुखी तुजसे नहीं, ये मेरी उससे वफ़ा हे.
तो क्या कहू में इस बदचलनी को जो तुने दिखाई
में तेरे लिए तरस रहा हु, लेकिन याद तुजे किसी और की आई
किस बात से परेशां हे तू, किस बात से नाराज़ हे.
बातों में कड़वाहट भरी बेठी हे तेरे, ये तेरा केसा अंदाज हे.
एक तुही ही थी हमेशा, साथ ले जाने के लिए
एक तुही थी उस जालिम तन्हाई से मुजे बचाने के लिए
में नाराज हु तुजसे, हु में परेशां तेरे लिए
बरसो का साथ छोड़ बेठी हे तू, ना जाने किस अनजाने के लिए
बता कोण हे वोह, जो आया हे तुजे मुजसे ले जाने के लिए
ये पहेली और आखरी चीज तेरे लिए कर रही हु,
ना चाहते हुए भी तेरे आगे आज उसकी तारीफ कर रही हु.
वोह राजा हे मेरे रातों का
वोह पक्क्का हे अपने इरादों का
वोह करने से अपनी मन की कभी चुकता नहीं
वोह किसी और के बोलने से झुकता नहीं
वोह वो हे जो किसीसे डरता नहीं,
दुनिया जो कहे और उसे कुछ फर्क पड़ता नहीं
हा हा हा हा हा हा हा
हसी मुजे आरही हे, देखके ये की केसा समय आया
तू बनके तो क्या आया था, और आज तुने खुदका क्या बनाया
इतना क्या खो गया खयालो में के, खुदको ही ना पहेचान पाया .
चल उठ सुबह हो गई अभी, कुछ कम कर
फ़ोकट में कुछ ना मिलना यहाँ अब ना आराम कर
आज फिर दिन ढलने वाला हे, फिर वोही रत आएँगी
खुद को पेहेचानले उजाले में, रातको में खुदही चली आउंगी.
Tu shayar to nahin,
ReplyDeletemagar aye hasin jabse dekha,
Bongar ne tujhko, usko shayari aa gayi..
Salute bossiii
i ll surely use ur skill in my next act of GPL